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Renu Singaria

Tragedy

4.5  

Renu Singaria

Tragedy

शिशु

शिशु

1 min
351


प्रथम हर वो देह जो सिर्फ एक शिशु है ,

हर जन्मा शिशु है परमात्मा की सुंदरतम कृति,

प्रथम, द्वितीय ,तृतीय में बच्चा होता है सबसे बिल्कुल अंजान

कुछ ना जाने कुछ ना समझे 

होता है बहता पानी सा ,

ठंडी पवन सा ,सिमटी प्रातः की ओस सा,

जब सोता है तो कभी हलके से हसता है दूसरे ही क्षण रोता है , फिर पुनः शिथिल हो जाता है,

ये सुदर भाव एक आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति से लगते है , 

चतुर्थ ,पञ्चम् ,षष्ठ में होता है सुखी माटी सा,

कुछ समझता है कुछ महसूस करता है,

कुछ हरकतें करता है कुछ क्रियाए करता है ,

ये सब मैने जाना जब मैंने एक शिशु को जन्म दिया!


चाहे लड़का हो या लड़की शिशु एक शिशु होता है ,

परमात्मा प्रदत्त एक सुंदरतम कृति! 

इसे प्रेम दे स्नेह दे ।


कुछ लोग लड़की को संतान ना चाहते हुए, 

कुछ लोग बच्चे के बेवजह जन्म जाने पर ,

देते है निद्रयता से फेक

प्रभु उन बच्चोंं पर रखना टेक ।


कैसे कोई इतना निर्मम और क्रूर हो जाता है,

और पापी बन जाता है ,

ऐसा ना किजिये मित्रों - जवाब तुम्हें देना होगा 

एक दिन !

कुछ ना बचेगा जीवन् में ,

रह जाओगे गिनते दिन !

फिर समय इतना क्रूर होगा,

धर्म तुमसे कोसो दूर होगा !

ये खुशबू और मुस्कान भरे फूल है 

हर जन्मा शिशु है परमात्मा की सुंदरतम कृति!!



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