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satyajit swain

Tragedy

4  

satyajit swain

Tragedy

एक सितारा

एक सितारा

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आसमान का एक सितारा 

जो था दिल को बेहद प्यारा 

उत्तर के मेरे आँगन में आज, 

बातें करता खूब सारा।।


की कितनी सुन्दर है ये धरती 

मेरे मन की प्यास है भरती 

रहते हो तुम ख़ुश यहाँ पर, 

क्या ये कोई जादू करती।।


हंसकर मैंने उसको बोला 

तुम क्या जानो हाल कैसा है

यहाँ खुशी को तोलने बाली, 

उससे बड़ी चीज पैसा है।।


वो मुस्कान अब नहीं है 

जो तुम ढूंढके आयी हो 

वो बोली अपने इस गम का, 

तुम खुद उत्तरदायी हो।।


तुम खुद भागे धन के पीछे 

सबको पीछे छोड़ दिया 

अपने चंद खुशी के आगे, 

सबसे नाता तोड़ दिया।।


अब जब रह गये अकेले 

तो हालत पर रोते हो 

वो नींद तुमको गवारा था, 

अब तन्हाई में सोते हो।।


टूट गयी जब नींद मेरी 

हर तरफ सन्नाटा था 

क्या सच में वो आसमान से आकर, 

मुझे जोर से डांटा था।।


जवाब ढूंढ ना पाया तो 

नभ को देखता रह गया 

वो सितारा चमक रहा था, 

जो कितना कुछ कह गया।।



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