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satyajit swain

Abstract Inspirational

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satyajit swain

Abstract Inspirational

अब कहाँ खोये हैं हम

अब कहाँ खोये हैं हम

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अब कहाँ खोये हैं हम 

क्या पता क्या खबर 

बस ये सुकून देती है, 

के साथ है तुम्हारा नजर 

जो रात उजागर काटे हमने, 

ये है उसका असर 

अब कहाँ खोये हैं हम 

क्या पता क्या खबर।


जो फूल खिलते थे कभी 

वो आज मुरझाये हुए 

जो पायल छनकते थे कभी, 

वो आज गुर्राए हुए

जो गीत मन मोह लेते थे 

वो आज हो गये बेअसर 

अब कहाँ खोये हैं हम 

क्या पता क्या खबर।


जल धारा जो बहती सदा 

वो आज है रुकी हुई 

जो नजर नभ को देखती थी, 

 वो आज है झुकी हुई 

फिर भी कैसे सब जाननेवाला, 

इस बात से है बेखबर 

अब कहाँ खोये हैं हम 

क्या पता क्या खबर।



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