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manoj tandon

Abstract Inspirational

4.2  

manoj tandon

Abstract Inspirational

यहां से हूं, कि वहां से हूं

यहां से हूं, कि वहां से हूं

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मैं यहां से हूँ कि वहां से हूँ,

मालूम नहीं किस जहां से हूँ,

ये तो कुछ रिश्तों ने जमीं पे खींच रखा है,

वरना मैं तो अनंत आसमां से हूँ,

कहीं रंगो नस्ल दर्ज है,

कहते है, मैं इक इंसान से हूँ,

ना गुमाश्ता से हूँ, ना गुजरी हुई दास्ताँ से हूँ,

मैं तो बस गुमा से हूँ,

ना जानूँ क्या मेरी मंजिल और क्या मेरा मंजर,

मैं तो सारे जहां से हूँ,


ना हदें है और ना सरहदें है मेरी,

मैं तो परियों की दास्तां से हूँ,

मगरुर नहीं, बेताब नहीं,

ख्वाहिशों का मोहताज नहीं,

अमीर नहीं, फकीर नहीं,

मेरी कोई लकीर नहीं,

मैं तो आप कारवां से हूँ,

यहां से हूँ कि वहां से हूँ,

मालूम नहीं किस जहां से हूँ......


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