manoj tandon
Inspirational
जन्म पुनर्जन्म का अविरत फेरा,
ये जीवन बंजारों का डेरा,
आज यहां, कल किधर कूच है,
कौन जाने कल कहां सवेरा
थकते कदम कहते राही
अब तो ठहर जा,
मंजिलें कहे पुकार के,
आजा तेरा इधर बसेरा।
लव यू जिंदगी
जुदा
रहमत
पथिक
खोल दे पंख
ए जिंदगी
चलो कुछ गुमशु...
यहां से हूं, ...
रब से मांगती हूँ ये दुआ तुझे इश्क हो मेरी तरह। रब से मांगती हूँ ये दुआ तुझे इश्क हो मेरी तरह।
अनवरत चलता, ठोकरें खाता, गिरता, उठता, फिर चलता, अनवरत चलता, ठोकरें खाता, गिरता, उठता, फिर चलता,
दीया खुद को ढूंढेगा, अंधेरे में, की मैं कहा हूं, आत्मचिंतन ही सरल होगा, दीया खुद को ढूंढेगा, अंधेरे में, की मैं कहा हूं, आत्मचिंतन ही सरल होगा,
मन की संकल्प शक्ति बढ़ाएं हम, स्वार्थ भाव तज, परमार्थ अपनाएं हम, मन की संकल्प शक्ति बढ़ाएं हम, स्वार्थ भाव तज, परमार्थ अपनाएं हम,
नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए
रे मनवा तू भरम से निकल, इसके जरिए कर ले उसकी भक्ति। रे मनवा तू भरम से निकल, इसके जरिए कर ले उसकी भक्ति।
कोई नहीं मिला रास्ता बांह पकड़ कर मेरी मुझको रास्ता दिखाती मां। कोई नहीं मिला रास्ता बांह पकड़ कर मेरी मुझको रास्ता दिखाती मां।
छलक रहे थे आंखों में आंसू टपक रहा था गालों से पानी। छलक रहे थे आंखों में आंसू टपक रहा था गालों से पानी।
जब दादू को आवाज लगाई मम्मा भी दौड़ी आई, जब दादू को आवाज लगाई मम्मा भी दौड़ी आई,
वो कामयाबी ही किस काम की, जो सिर्फ अपने ही काम आए। वो कामयाबी ही किस काम की, जो सिर्फ अपने ही काम आए।
हरियाली बिन प्रकृति सूनी, घर सूनी बेटी की विदाई से। हरियाली बिन प्रकृति सूनी, घर सूनी बेटी की विदाई से।
ठिठुरता है जिनका बदन सर्द रातों में जलता है जिनका बदन झुलसती हुई धूप में ठिठुरता है जिनका बदन सर्द रातों में जलता है जिनका बदन झुलसती हुई धूप में
तन-मन में नई उमंग भरो लक्ष्य की ओर अनवरत बढ़ो संघर्ष करो तुम संघर्ष करो। तन-मन में नई उमंग भरो लक्ष्य की ओर अनवरत बढ़ो संघर्ष करो तुम संघर्ष करो।
नहीं देखती अपना दुःख, बस करती सबके जीवन सरल, चलती लेकर सबको अपने संग, नहीं देखती अपना दुःख, बस करती सबके जीवन सरल, चलती लेकर सबको अपने संग,
दूसरों से जलने का ही प्रमाण शायद मरने के बाद की राख देती है। दूसरों से जलने का ही प्रमाण शायद मरने के बाद की राख देती है।
एक ग़लती से … कभी बदनामी का … जोखिम ना उठाना …. एक ग़लती से … कभी बदनामी का … जोखिम ना उठाना ….
जो मिल जाए उसी को कबूल कर ख्वाहिशों को दर्शाना छोड़ दे। जो मिल जाए उसी को कबूल कर ख्वाहिशों को दर्शाना छोड़ दे।
फूलों की छतरी बौर मंजरी आम की दाल मदमस्त बसंत बयार के फूलों की छतरी बौर मंजरी आम की दाल मदमस्त बसंत बयार के
थमें नहीं कभी तेरे कदम, निरंतरता हो तेरा मकसद। थमें नहीं कभी तेरे कदम, निरंतरता हो तेरा मकसद।
इंसानी तौर - तरीकों से जुदा… बेहद ख़ूबसूरत… बेहद अलहदा…। इंसानी तौर - तरीकों से जुदा… बेहद ख़ूबसूरत… बेहद अलहदा…।