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manoj tandon

Others

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manoj tandon

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जुदा

जुदा

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एक ही शख्सियत की अहमियत,

हर नजर में जुदा क्यों है,


उसी शख्स से कोई खफा,

तो कोई फिदा क्यों है,


मिलते तो कई हैं, 

इस जिंदगी के सफर में रोज ही,

पर हर दूसरा शख्स, 

दिखता खफा खफा क्यों है,


उतरना जरूरी है रोज,

'जिंदगी के बाज़ार में, जीने के लिए, 

पर मिजाज को बाजारी रखने पे,  

हर व्यक्ति आमादा क्यों हे,  


करते थे सजदा एक खुदा का,

पर अब जिंदगी के हर मोड़ पे, 

मिलता नया खुदा क्यों है, 


इस छोटी सी जिंदगी के सफर में ,

हर आदमी गुमशुदा लगता क्यों है ।


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