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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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यह दुनिया है एक गुलदस्ता

यह दुनिया है एक गुलदस्ता

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यह दुनिया है एक गुलदस्ता 

रंग-बिरंगे फूलों से सजा

अलग-अलग भाषाएं

फैली हर दिशाएं

अनेक जातियां

अनेक रंग यहां


सबके जीने का

अलग-अलग है

विशेष ढंग यहां

वेशभूषाएं सबकी

एक अलग पहचान है


पर अनेकता में एकता ही

इस गुलदस्ते की पहचान है

परस्पर भाईचारे का एक संदेश

यह गुलदस्ता सदा हमें दर्शाता है

अलग अलग होकर भी हम एक हैं

एकता के इस सूत्र में हम सब बंधे हैं

फिर क्यों लड़ते हैं सब धर्म के नाम पर


गौर नहीं करते क्यों भयानक अंजाम पर

हर धर्म का सम्मान करो सब एक समान

हर धर्म तो अपने आप में होता है महान

अलग-अलग फूलों से सजकर गुलदस्ता


कितना हो जाता खूबसूरत और मोहक

दुनिया रूपी एक ही बगिया में रहकर

क्यों मनुष्य करता है धर्मों का फर्क 

मिटाकर अपने मन से द्वेष भाव

प्रेम भाव दीप जलाओ मन में


मिटाकर मन का अंधकार

उजाला करो जीवन में

प्रेम भाव से मिलकर सब

प्रेम से रहो इस गुलदस्ते में।


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