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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

4  

Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

यह आँखें

यह आँखें

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यह आँखें जन्नत वाली

यह आँखें मन्नत वाली,

यह आँखें मन को सजाएँ 

यह आँखें बलिहारी जाएँ,

यह आँखें छलकती प्रीत से

लोरी के सरल गीत से

मन मोहते अपने मित के

यह आँखें, यह आँखें,

यह आँखें कहती कथा

सब संग स्नेह की, नेह की

यह आँखें सहेजती व्यथा 

प्रेम और बिखरने की

यह आँखें जादू वाली

यह आँखें मुराद वाली

यह आँखें दुआओं वाली

यह आँखें पलक के ओट से

धड़कन की बात करने वाली

यह आँखें, यह आँखें।।

यह आँखें जिगर में उतरने वाली

अंग अंग में भर तमन्ना

जाने-जां ख्वाहिश जगाने वाली

यह आँखें प्याली मद भरी

यह आँखें लुभाती मन को

यह आँखें सुनाती, बुलाती

हद पार कर मनुहारी जाती

यह आँखें, यह आँखें।।

        



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