ये विरह की वर्षा
ये विरह की वर्षा
ये विरह की वर्षा
ये विरह की वर्षा हो रही है
क्या तुम्हें दिखाई नही दे रही है
दूर कही झील में वेदनाओ की तरंग़ उठ रही है
क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रही है
मेरी मुश्किले और तुम्हारी व्यस्तताएं
विरह कि वर्षा में आंसूओ से भिग रही है
वि-विवश
र- राहत
ह –हासिल
अब मुझे मोहब्बत में
विवशता कि राहत ही हासिल हो रही है

