ये सफेद रंग
ये सफेद रंग
मत पहना कर ये मां
तू ये सफेद रंग,
देख तुझे होती मुझे
जाने कितना दर्द,
तू फिर से पहले वाली बन जा
सज धज कर रहा कर,
सुन का मां बेटी की बात
भरे गले से बोली :
रंगो का क्या हैं बेटा
खुशियों से वो चुनी जाती,
जो गए तेरे पापा मुझे छोड़
मेरे सारे रंग भी संग ले गए,
ये दुनिया मुझे कर ने दे बदनाम कहीं
इसलिए दे दिया ये सफेद रंग,
पहन कर जिसे मैं रहूं शांत
पवित्र हो दामन मेरा और सौम्यता बने पहचान,
भोली बेटी ज्यादा समझ न पाई
सुन मां की बात सिर हिलाई,
तू जिसमे खुश रहे मां वो ही पहन
रंगों से क्या करना अब मुझे
तेरा साथ हैं मुझे वो क्या हैं कम।।
