STORYMIRROR

Rashmi Prakash

Inspirational Others

4  

Rashmi Prakash

Inspirational Others

बुराई का अंत ( ग्रे रंग)

बुराई का अंत ( ग्रे रंग)

1 min
214

ये ग्रे रंग का जब हो जाता तेरा चरित्र 

सामने वाला समझ ना पाता कैसा है मन तेरा,


कभी अच्छा बन कर मन मोह लेते हैं 

कभी क्रोध में रंग में भंग कर देते हैं,


जब अंतर्मन हो जाता है काला तेरा 

तब अंत समय बस आता है तेरा ,


करने बुराई का अंत सामने आती उसकी मौत

क्रोध की ज्वाला में जला कर कर देती संहार,


जल कर तड़पता पड़ा रहता तन मन तेरा

जल जल कर हो जाता स्याह रंग तेरा !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational