मां की लाल चुनरी
मां की लाल चुनरी
मां मुझे भी ला दे ना
वो तेरे जैसी लाल चुनरी,
रख सिर पर इतराऊँ
गली गली में फेरे लगाऊँ,
हो जिसमें सलमे सितारे
पूरी चुनरी में हो सुनहरी किरण,
ले कर हाथ में त्रिशूल
दुश्मनों का करूँ विनाश,
क्रोध में जब होंगे लाल
मेरे प्यारे प्यारे गोल गाल,
मां मुझको भी बनना
नवरात्रि में दुर्गा का अवतार ।