ये रस्में..
ये रस्में..
रीती रिवाज़ और रस्मों से
पूर्णत: बँधे हैं ये सारे रिश्ते
ये वो माला है जो एक धागे में
गुँथे पिरोये हैं ये सारे रिश्ते
पर ये जो लोक व्यवहार है
और जो भी सब नेग चार है
अगर मर्यादित हो तो लगते भले
नहीं तो ये लगते दुराचार हैं
बेहद ही विभत्स रूप में
अक्सर ये देखने में आते हैं
हो जातें है तब ये निंदनीय
किसी को नहीं ये भाते हैं
अब ये हम सब का दायित्व है
हम इनकी शोभा बनाये रखें
रीती रिवाजो़ का सम्मान करें
इनका सरल स्वरूप बचाये रखें।
