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Dr J P Baghel

Romance

4  

Dr J P Baghel

Romance

ये मन के मीत मिले

ये मन के मीत मिले

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पल-पल के एकाकीपन के मीत, न कहीं मिले 

हमदम ऐसे, जो लेते मन जीत, न कहीं मिले।


मीत मिले बिछड़े जीवन में आए और गए 

जितने मिले, मिले उतने ही अनुभव नए-नए।


जब से दर्द पास में आया ऐसी प्रीत हुई 

झर-झर झरी पीर मन में से छन -छन गीत हुई।


दर्द गीत के साथ पला जीवन भर साथ रहा 

सिसका, रोया गीत दर्द ने जितना उसे कहा।


जहां किसानों मजदूरों के श्रम का स्वेद चुआ 

थकन भरी सांसे गूंजी गीतों का जन्म हुआ।


नारी के मन के सुख-दुख ने अनगिन रूप धरे 

गीतों ने स्वर लहरी बन करुणा के गगन भरे।


रोए गाए गीत हंसे मेरी हर बात सुनी 

मिले मुझे मनमीत हितैषी ज्ञानी और गुनी।


मेरे भाग्य जगे मुझको ये मन के मीत मिले 

सांस सांस पर साथ निभाने वाले गीत मिले।


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