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Neelam Thakur

Tragedy

3  

Neelam Thakur

Tragedy

ये कैसा दौर है

ये कैसा दौर है

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ये कैसा दौर है, ये कैसा दौर है।

आन बान है तेरी, न शाने गौर है।

नारी ने नर बनाया दुनिया संवारने,

नर ने समझ लिया ये तो कमजोर है।


जो पूजते हैं मन्दिरों में दुर्गा काली को,

घर उनके जल रहीं सीताओं का शोर है।

कभी बेटी के जन्म पर बजती बधाई थी,

आज जन्मे जो लक्ष्मी भी मातम का दौर है।


बढ़ते ही जा रहें हैं जुल्मों के दायरे,

अब बिकने लगा बाजार में हयाई नूपुर है।

ख़ामोश सह रही है जुल्मों को इस लिए,

मां बहन बेटी के रिश्तों की डोर है।


ला सकती है भूचाल भी नजरें घूमाए तो,

पलकों में छिपी उसके प्रलय की भोर है।

ये कैसा दौर है, ये कैसा दौर है।



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