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Neelam Thakur

Drama

4  

Neelam Thakur

Drama

गम

गम

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कभी यार बनके आया, कभी प्यार बन के आया।

ये ग़म जिंदगी में क्या क्या न बन के आया।


दिवाना बन के आया,मस्ताना बन के आया।

बन के शमा इसीने,परवाने को जलाया।


बर्बादी ही साथ लाया ये जब कभी भी आया।

कभी बनके बहार आया, कभी फूल बन के आया।


चुभ चुभ के छलनी करदे ढ़ेरों वो शूल लाया।

साहिल बना कभी ये, कभी मांझी बनके आया।


डूबी मजधार में ही नैया, तूफान येसा लाया।

कभी सूर्य बनके दमका,कभी चांद बन के चमका।

बन कर दीया इसीने घर "निशा "का जलाया।


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