ये जीवन है
ये जीवन है
दिन बीत रहे थे सभी संग हंसते गाते
सुख और दुख में सबका मन बहलाते
जीवन में जब-जब भी आई कठिनाई
आगे बढ़ते रहे थे हम उनको सहलाते
कोई मिला था सफर में कोई छूट गया
किसी से रिश्ता जुड़ा किसी से टूट गया
जिनको समझा था हर समय का साथी
वो साथी भी हमसे जाने क्यों रूठ गया
हर रिश्ते में सबको स्नेह दुलार दिया
जिसने दिया उसका भी उपकार किया
अब लगता जैसे समय मुझे समझाता
नव आशा लिए क्या तुमने संचार किया
ये जीवन तो हमारा तृष्णा का सागर है
अपने- ही ख्यालों की सबकी गागर है
दूसरों के सुख दुख की परवाह किसको
सबको अपनी- अपनी ही शिकायत है
जब-जब भी उलझा में अपने जीवन में
बीत गया था जीवन उसको सुलझाने में
अब चलता हूँ एकाकीपन को साथ लिए
लगा हुआ बस सुधियों के दीप जलाने में
सब में कुछ न कुछ दोष हुआ करते हैं
सच मानो हर कोई यहाँ निर्दोष नहीं है
जीवन है हमेशा पग-पग पर समझौता
रिश्तो के धागों में यहाँ विश्वास नहीं है।