जीवन से पहले मौत के बाद
जीवन से पहले मौत के बाद
जीवन से पहले और मौत के बाद,
सोचो कहां थे ? और कहां जाएंगे ?
बड़ा होशियार था सबने भी माना !
सब को जानकर खुद को न जाना,
फिर कहने लगा, बड़ा खराब जमाना,
सब कुछ सिखा, जो कुछ अच्छा दिखा।
पर वह सारी विद्या, कभी काम न आई ,
काम- क्रोध ने घेरा, लिया मन में बसेरा।
दूसरों को समझाया,आई खुद की बारी,
मेरी तैयारी धरी-की-धरी रह गई सारी।
नित्य कष्ट पाया, झूठी लगने लगी माया,
जिसे अपना बनाया, वह काम न आया,
जिसको सुनाया ,वह भी अपनी राग गाया।
हाय री माया ! तुमने बहुत ही सताया,
तुझे अपना बनाया, तूने पल-पल रुलाया।
समझता था संग है सब, पर छोड़ गई छाया,
जिसे अपना जाना वही निकला बेगाना,
अब रो करूं क्या, लुट गया मेरा खजाना।
ठोकर लगी तब ही, गुरु की बातें जाना,
नींद से जागा, अब छोड़ा यह धूनी रमाना।
कोई भी चलेगा न अब मेरा आगे बहाना,
छोड़ पिछली बातें ,लिख तू नया तराना,
पोंछ ले आंसू ,तुझे भी है अब मुस्कुराना।
जीवन से पहले और मौत के बाद,
सोचो कहां थे ?और कहां जाओगे अब ?
रंगीन दुनिया चमक-चकाचौंध है भरी,
एहसास न पालो, न कोई अपना बना लो।
बस दु:ख के सिवा और कुछ मिलेगा नहीं,
जिसके लिए तू सदा दिन-रात सोचता है,
उसकी ही मीठी यादें सदा तुझे सताती है,
आखिर रखा क्या है ,उसकी प्यारी बातों में ?
क्यों उसके लिए तू, जागता है रातों में ?
क्या-कितना कुछ मिला, कितना मोटा हुआ ?
अब उसकी राह में तू खरा से खोटा हुआ।
सोना लूटा कर फिर चैन तुमने खो दी,
अपनी उसे सुना कर क्यों अब तूने रो दी।
समझेगा न कोई, पत्थर दिल है जमाना,
सबको है गानें यहां अपने ही तराने
सोचता है सही है, नजरों का फेर है।
लोगों के मन में तो सदा ही देर है,
तू अपनी चला ,खुद में स्थिर हो जाओ,
क्यों आधा- अधूरा बन के तुम जी रहे ?
जीवन से पहले और मौत के बाद,
सोचो कहां थे ? और कहां जाओगे ?