स्कूल के दिन
स्कूल के दिन
वो बचपन की
यादों का कारवां
कभी भी कब्ज़ा लेता है
अक्सर मेरे पल आज भी
अब उम्र हो चुकी पचपन की
नहीं भूलती बातें बचपन की
वो सुबह होते ही
स्कूल के लिए दौड़ लगाना
दोस्तों के बस्तों से
टिफ़िन चुराना
खुद करके शरारत
दोस्तों को फँसाना
स्कूल से जी चुराकर
वो पेट दर्द का बहाना
हर मुश्किल में
दोस्तों का साथ निभाना
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प्रार्थना में छुपकर
कागज़ के गोले चलाना
फिर आँख बंद कर
खुद को छुपाना
बहुत याद आता है
स्कूल का मैदान
जहाँ झूलों की पींगों में
ख़ुशी से भरते उड़ान
वो पढ़ाई की टेंशन
दिन रात का जगना
जब सर पर आ जाते थे
अपने इम्तिहान
फिर भी मस्ती भरे थे
वो बचपन के दिन
यादों में बाकी रह गए
वो पल बेहद हसीन।