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shaily Tripathi

Drama Action Children

4  

shaily Tripathi

Drama Action Children

ये बारिश, वो बारिश (day 5)

ये बारिश, वो बारिश (day 5)

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उबलती गर्मियों के बाद, जो बारिश हुई होगी, 

धूप से तप रहे लोगों को कुछ राहत मिली होगी, 

ज़र्द से पेड़, बारिश में हरे से हो गए होंगे 


नमी से सीझ कर बीजों में कुछ अंखुए उगे होंगे 

ज़मीं की प्यास भी शायद, तनिक सी बुझ गई होगी, 

हरारत फूल -पौधों की भी, थोड़ी घट गई होगी। 


शहर, कस्बों, देहातों में, खूब मस्ती हुई होंगी, 

अमीरों के घरों की खिड़कियां भी खुल गई होंगी,

वो गोरे नर्म नाज़ुक हाथ खिड़की से बढ़े होंगे 


उंगलियों से नर्म बारिश की बूँदें छेड़ते होंगे 

लगा कर छतरियाँ बच्चे मज़े से खेलते होंगे 

बड़े भाई - बहिन भी साथ उनके हो गए होंगे 


बना कर नाव काग़ज़ की होड़ में लग गए होंगे 

देखकर बचपना माँ-बाप भी ख़ुश हो रहे होंगे 

पकौड़े और भुट्टों की खुशबुयें आ रही होगीं 


समोसे - चाय की महफ़िल घरों में सज गयी होंगी 

कार में बैठ कर कुछ लोग मैख़ाने गए होंगे 

जाम टकरा रहे होंगे, कहकहे लग रहे होंगे 


भूख से रो रहे बच्चों को माँ बहला रही होगी 

मजूरी आज बारिश में, नहीं उसको मिली होगी ,

वहाँ, उस झोपड़ी की छत, अचानक गिर गई होगी


पुराने बाँस-बल्ली पर, फूस से जो बनी होगी ,

ओढ़ कर बोरियां पेड़ों के नीचे,भीगते होंगे ,

घरौंदे आजतक जिनके, खुले फुटपाथ ही होंगे 


बहुत बारिश हुई शायद कहीं बादल फटे होंगे 

गिरी हैं बिजलियाँ ऐसी बहुत से घर ढहे होंगे 

मरे होंगे बहुत से, सैकड़ों बे-घर हुए होंगे 


चढ़े सैलाब का पानी शहर में घुस गया होगा 

घरों का माल और अस्बाब उसमें गुम हुआ होगा 


गाँव के खेत, कच्चे घर बाढ़ में बह गये होंगे 

पेड़ उखड़े हुए होंगे, मवेशी मर गये होंगे 

कोठलों सहेजा अन्न भीग कर सड़ गया होगा 


कुओं और पंप का पानी भी गन्दा हो गया होगा 

बहुत बदहाल, भूखे और प्यासे हो रहे होंगे 

गुहारें मदद की सरकार से सब कर रहे होंगे 


वबा, बीमारियाँ, कीड़े-मकोड़े बढ़ गए होंगे 

जो हैं बे-हाल, बे-घर, तंग उनको कर रहे होंगे


दुआ हैं बारिशें रब की, जो फैसलों को उगाती हैं 

बद-दुआ ख़ुदा की बारिश, बाढ़ लेती, डुबोती है।


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