ये बारिश हैं या कोई जादू
ये बारिश हैं या कोई जादू
ये मौसम का खुमार है या है मेरे मिजाज़ में आई लहर
सब रुका सा है कुछ धीमा सा है जैसे छाया हो कोई खुमार
यही तो मासूमियत है इस मौसम की
जैसे सब है पहले जैसा पर मानो कुछ नया सा है
हवाओ में कोई नमी है, करवटों में सुरूर है
चाल में सुस्ती सी है , मन में मस्ती सी है
ये क्या चाल चल रही है ये बारिश
आज कल तेरे मेरे बीच की दूरियां भी कम लगने लगी है।

