तुम तक
तुम तक
तेरी आँखों में मैं अपनी परछाई ढूंढ रही
लगता है तेरी बातों में सच्चाई ढूंढ रही
दिल अब भी तेरे तक आ के रुकता है ,
सांसों का क्या है संग तेरे होने से चलता है
ले जाएगी यह राहें कही दूर मुझे,
जहां मेरी खुशियों के आगे शर्त ना होगी

