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Sohini Roy

Romance Tragedy

4.5  

Sohini Roy

Romance Tragedy

अब हस्ते है अपनी हालत पे हम

अब हस्ते है अपनी हालत पे हम

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अब हँसते है अपनी हालत पे हम

उसी राह पर निकल पड़े जहां से लौटे थे कभी हम

तेरी आँख में मैंने वो चाहत देखी 

तभी तो सब जनते हुए भी तुझे मोहब्बत की

आगाज़ सोचा ना था ना अंजाम इस रिश्ते का 

तुझसे सच्ची मोहब्बत का वादा बस मंगा था 


तुझसे इश्क की यूं इत्र सी आने लगी

एक तरफ़ा मोहब्बत यक़ीनन मैंने भी ना की थी

या फिर तूने भी वही खेल खेला था 

दिल्लगी कर दिल की लगी का दांव लगाया था 

इतनी तो यारी थी की तू हाल-ए-दिल बाय करता

मेरा हाथ थाम प्यार की राह पर लाकर यूं राह ना बदलता


तूने अपने गमों को मेरे दामन में दाल दिया

मैंने उन्हीं से अपनी खुशियाँ बुन ली

अपने उदास मन को तूने मेरे संग बहला लिया

मैंने उसी में तेरी मोहब्बत देख ली

तू तो मुसाफिर बन आया था 

मैंने तुझमें अपना हमसफर देख लिया


चलो आज एक सवाल मैं भी कर लूँ

रिश्ता जब ये हमारा शर्त रहित ही था 

मांगा तुझसे ना मैंने कुछ मोहब्बत के सिवा था

खेलना ही था तो बाज़ार में खिलौने तो कई थे 

मेरे दिल को तोड़ तूने हासिल क्या कर लिया?

अब हँसते है अपनी हालत पे हम

उसी राह पर निकल परे जहां से लौटे थे कभी हम


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