जो बीत गया वो बीत गया
जो बीत गया वो बीत गया
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उस बात का में गम क्या करूं
उस बात को याद मैं क्या करूं
जिस बात की ना अब आधार है
जिसमे अब न बसता कोई प्यार है
जो बीत गया वो बीत गया
उस बीते कल को याद मैं क्या करूं।।
राह चुनी मैंने थी
दिमाग की नही दिल की सुनी थी
जो निभा ना सका इसके लिए आंखों नम क्या करूं
जो हो ना सका उसका गम क्या करूं
जो बीत गया वो बीत गया
उस बीते कल को याद मैं क्या करूं।।
फिर भी यादें याद क्यों आती
दिल मे से यह दर्द क्यों न है जाती
आंखे अब भी नम सी है
दिल में कोई चुभन सी है
अब रोज यही मैं दोहराही हूं
जो बीत गया वो बीत गया
उस बीते कल को याद मैं क्या करूं।।