"यात्रा"
"यात्रा"
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
मैं ले चली यात्रियों को अपने,
गंतव्य तक हर यात्री की,
मैं हूँ हम क़दम मेरी यात्रा में,
आते अनेकों पड़ाव, कभी मैं,
पहुंची दिल्ली,यूपी, भोपाल,
चेन्नई, केरल ..!
मैंने देखे गहरी अंधियारी रातें
मैंने देखा सूरज की सुनहरी
किरणों की लालिमा
मैनें देखा यात्रियों का,
दमकता मुख जब पहुंचते,
अपने प्रियजनों तक,
मैं हूँ भारतीय रेल!