यादों को
यादों को
चले जाते जो इक बार फ़िर ,
बुलाने से नहीं आते
मिट जाती जो लकीरें भी
फिर लिखे नहीं जाते।
टपक जाती यादें अक्सर
आँसू बन कर नैनों से
सूख जाते अश्क के धार
मगर निशाँ छोड़ जाते।।
वक़्त को समझना मुश्किल
कभी लगता अपना सा
अगले पल में मगर अपने
सपने गैर हो जाते।।
उजड़ा जो चमन अपना
कुसूर किसका कैसे बोलूं
ख्वाहिशें ग़ैर वाक़िफ़ अगर
साजिशें बो दिये जाते।।
बहुत दूर तलक देखना
आसाँ अक्सर होता नहीं
नज़रें हों कमज़ोर अगर
नज़ारे भी बदल जाते।।
शाख से बिछड़ने के बाद
हवा भी बैर बन जाता
तराने बुने थे जो साथ
फ़साने बन रुला जाते।।
मरहम जो लगा गये आप
घाव भरने की उम्मीद भी
अगर जुदा ना हुए होते
ये ज़ख्म भी भर गये होते।।
चलो एक बार दिल को
फिर बहला के देखते हैं
बड़ी जिद्दी है वो मगर
अक्सर मान भी जाते।।