यादों की बरसात
यादों की बरसात
निष्ठुर यह सावन सखी,
खोले बंद किताब।
यादों में मिलते नहीं,
बाकी रहे हिसाब।।
सर्द हवा गाने लगी,
मिलन-विरह के गीत।
बिछड़ गए जो राह में,
मिलें न फिर मनमीत।।
कजरारी बदली लिखे,
यादों वाले छंद।
मोती जैसी बूंद से,
अँखियों के सम्बंध।।
बदली ने तोड़ा नहीं,
सावन का विश्वास।
विरहन के हर गीत में,
पिया मिलन की आस।।
मनमीता सावन सखी,
जाने मन की बात।
बरस-बरस बरसा करे,
संग नयनों के रात।।
खिला-खिला मधुबन हुआ,
फ़ज़ा हुई रंगीन।
नील गगन धूमिल हुआ,
बदली के आधीन। ।
झूम-झूम बहती हवा,
अद्भुत स्वर लय नाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे हैं बस याद।।
कोई भी बोले नहीं,
फिर भी हों संवाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे है बस याद।।
राजे-रजवाड़े बिके,
दीवाने बरबाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे है बस याद।।
ख्वाब अश्क़ रुसवाइयाँ,
उलफ़त की बुनियाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे है बस याद।।
अंतहीन तन्हाइयाँ,
टूटे दिल नाशाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे है बस याद।।
जख़्म हरे फिर हो गए,
बरसों-बरसों बाद।
सावन में बदली नहीं,
बरसे है बस याद।।