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Sajida Akram

Abstract

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Sajida Akram

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यादों के उजाले

यादों के उजाले

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सुनहरी धूप का टुकड़ा

वो साथ लेकर चलती थी।

अपनी हसीन यादों के उजाले

उसकी बेबाकी, उसकी दिलनशी

अदा ,उसकी हसरतों का पुलिंदा

उसकी दिलकश चाहत काश् ..! 

इस गुलाबी आसमां में वो भी, 

सुनहरी धूप का टुकड़ा लेकर ।

बिखेर दे आसमां में सुनहरी उजाले, 

को नन्हें- नन्हें जुगनू की तरह।

रोशन कर दे इस "जहाँ" को  

ये अल्हड़पन, ये बेपरवाही

ये सुकूँ,ये बेबाकी ये ज़िंदगी के ख़ुबसूरत, 

लम्हों में खो जाने की तमन्ना....!


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