यादें तुम्हारी....
यादें तुम्हारी....
मानसून सी है,
'यादें तुम्हारी'
आती हैं,
भीगा कर चली जाती हैं।
हर बार
एक नया अहसास,
एक नया जुनून दे जाती हैं।
एक नया तराना छेड़ जाती हैं।
कभी तुम भी आओ,
यूं ही बारिश के जैसे,
जिसमे मैं भीगू,
और तुम्हारी हो जाऊं।
रख लो अपनी बांहों के घेरे में,
कुछ यूं कि
पड़े ना नजर किसी और की
डर लगता है,
तुमसे दूर जाने के ख्याल से ही ॥

