ये वक्त भी ठहर सा गया है.....
ये वक्त भी ठहर सा गया है.....
तुम्हारे बिना,
ये वक्त भी ठहर सा गया है,
बस इन घड़ी की सुइयों में सांस बाकी हैं।
चाय की प्याली हाथ में हो,
आती है, हर घूंट में तेरी यादों की मिठास,
टूटा दिल और उफनती नदियों सी आंखें
और नम आंखों में तेरे लौट आने की आस।
कितने नायाब रंग हैं भरे,
इन सुबह की सूरज की लालिमा में,
कैद कैसे करूं मैं इनको अपनी बाहों में,
मिले और बिछड़े भी हम लोगों निगाहों में।
बस बातें करने को,
ये दुनिया सिमट गई हैं मेरे लिए,
खामोशी सुन सके कोई इन लफ्जों से परे,
बना नही कोई ऐसा, तेरे बाद, मेरे लिए।
जाने अनजाने भी,
मिलना, किसी राह में, तुम मुझसे,
लगा गले सुन लेना धड़कन मेरी,
बांटना अपने हिस्से का प्यार, तुम मुझसे।
क्यूंकि,
तुम्हारे बिना,
ये वक्त भी ठहर सा गया है,
बस इन घड़ी की सुइयों में सांस बाकी हैं ।