यादें बहुत रुलाती हैं
यादें बहुत रुलाती हैं
करो न ऐसे याद मुझे तुम
हिचकी मुझको आती है
मन बेबस सा हो जाता है
यादें बहुत रुलाती हैं..।
क्यूं मेरी यादों में आकर
फिर अरमान जगाते हो
न जाने क्यूं चाह तुम्हारी
अब भी बहुत सताती है..।
अब भी तेरे आने की
उम्मीद लिए बैठा हूँ मैं
मन पुलकित हो जाता है
जब आहट कोई आती है..।
नहीं आसरा है अब कोई
लौट कभी तुम आओगे
यही सोच विचलित होता मन
आँख मेरी भर आती है..।
करो न ऐसे याद मुझे तुम
हिचकी मुझको आती है
मब बेबस सा हो जाता है
यादें बहुत रुलाती हैं..।
यादें बहुत रुलाती हैं..।