यादे
यादे
यादें .....
क्या कहूं इनके बारे में
जब भी आती है तड़पा जाती है
आँखो से आँसू छलक पड़ते है
लब खामोश हो जाते है
सोचती हूं मैं... क्यूँ ? आखिर क्यूँ ?
याद रह जाते है वो अजनबी
जो हमे झंझोड़ कर चले जाते है
और मशगूल हो जाते है
अपनी जिंदगी में
उपर से ये याद.... उफ्फ
सोचते सोचते अलग दुनिया बस जाती है
शायद किस्मत में नहीं था हमारा मिलना
ऐसा कह के दिल को तसल्ली दिलाते है
दिल तड़प उठता है उनसे मिलने को
और हम किस्मत के आगे बेबस हो जाते है
अश्क लहू बन के टपकते है
जिस्म से मानो रुह निकल जाती है
आह....
क्या कहूं इन यादों के बारे में
ये बहुत जालिम होती है
सच कहती हूं ... यादें दुखदायी होती है ।