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Amit Kumar

Romance Inspirational

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Amit Kumar

Romance Inspirational

याद

याद

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किसी की याद

उतनी नहीं आती

जितनी उसकी

आती है

बड़ी मुश्किल से

सहेजता हूँ

अपने बीते लम्हों को

मगर

बेचैनी ऐसी बढ़ती है

कि बिखर जाता है

हर सहेजा हुआ लम्हा

सिमटती चली जाती है

मेरे सब्र की चादर

वो प्रकाशमय दीपों का झुरमुट

जो मेरे अंधेरों का

उजियारा था

बड़ी शिद्दत से

सम्भाल कर रखा था

मैंने

वो एक दिल जो

मेरी अब तक की

दौलत था

किसी ग़ैर का होकर

भूल वो मुझको

यूँ गया

जैसे बरसों उसका था

और मेरे पास

उसकी अमानत था.......

   


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