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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

याद

याद

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वो नशीली रात शब भर जलाती रही,

याद रह रहकर महबूब की आती रही।


ज़िक्र जब भी गुलों का सुना जो हमने,

एक रोशन चेहरे की नमी लुभाती रही।


जब भी गुज़रे गली से लिए आस हम,

नज़र अंदाज़गी हमें उसकी सताती रही।


हुस्न बेपरवाह इश्क को ना समझा कभी,

उसको पाने की तमन्ना तिलमिलाती रही।


प्यार है नशा नहीं महज़ जो उतर जाएगा, 

क्यूँ नज़र से मेरी खुद को छिपाती रही।


मखमली मेंहदी रचती है दिल की डली, 

जब ख़्वाबों में आँखों से वो पिलाती रही। 


कौन समझाए जाके उस पत्थर दिल को,

उसके बिन ज़िंदगी मुझ को रुलाती रही।



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