याद
याद
आंखों से कुछ गर्म सा
फिर से ढुलक गया,
इक टुकड़ा मेरे दिल का
आज फ़िर पिघल गया..
सिहरन सी आ गयी है
आज फिर हवाओं में..
एहसास तेरी याद का..
छूकर गुज़र गया...
सोया हुआ सा जिस्म
जैसे फिर से जग उठा..
मरता हुआ ये दिल कि
जैसे फिर से जी गया...
ये एहसान है तेरा मेरे
इस जिस्मो जान पर..
किसी और का हुआ तू
और मैं तेरा रह गया...
