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Anand Mishra

Abstract

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Anand Mishra

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अतीत

अतीत

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तुम किंचित मात्र तो हो 

पर केवल शब्द भर में

जीवन सिमटा सा दिखता है 

तुम्हारी भुजाओं में 


जो आज है,जो कल होगा 

समष्टि तुम्हारी ही तो है 

तुम चिरन्तन जो ठहरे 

क्षणभंगुर वर्तमान 


अजान भविष्य के सम्मुख 

सब को तुम ही मे सिमट जाना है 

मुझे, तुम्हें, भावी, वर्तमान, सब को 

चिरन्तन, अतीत हो जाना है। 


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