याद आती जब तुम्हारी
याद आती जब तुम्हारी
याद आती जब तुम्हारी
मैं खुद को ही भूलता,
उन पुरानी कविताओं में
जिक्र तुम्हारा ढूँढता।
आइने से बात कर
तुमको ही देखता,
एक मुस्कुराहट की तलब में
वेख़ुदी ही बोलता।
तुम नहीं फिर भी
हर पल तुमको ही देखता,
और प्यार का अहसास
जिंदगी के हर मोड़ पर देखता।
तुमने आकर
जो मुझको जीना सिखाया,
जिंदगी की खूबसूरती का
हसीन आयना दिखाया।
और जिंदगी की हर राह
तुम बिन अधूरी होती,
जैसे कोई अधूरे पन्नों की
दिल की डायरी होती।
अब तुम्हारे जाने के बाद
जिंदगी खामोश सी नजर आती है,
टूटे हुए ख्यालों की
कोई तकदीर बेदर्द सी नजर आती है।
तुम कल्पना से जन्मी
हकीकत का रूप बनकर
सरिता सी बहती रहीं,
मन के हर कोने में तुम
पाक नीर सी बहतीं रहीं।
तुम से बिछड़कर
दिल जो जिंदगी की बाजी हारा है,
अब तुम्हारी यादों का जिक्र ही
जीने का सहारा है।