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Ramashankar Yadav

Romance

4  

Ramashankar Yadav

Romance

याद आती है।

याद आती है।

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याद आती है

वो मिट्टी की सोंधी सी महक!

शामों को अमराई में चिड़ियों की चहक!

मुझको पास बुलाती है!


याद आती है।

वो मवेशियों संग सिवानों में फिरना

हर शाम ही कबड्डी के पालों में घिरना

क्या अब भी ऐसा होता है जब शाम होती है।


याद आती है।

आम के पेड़ों पर लपक के वो चढ़ना

हर पल को ही बस मौज मस्ती में मढ़ना

अब के जीवन में तेज लौ सी लगती है।


याद आती है।

लहलहाते खेत झूमती बालों का गाँव

चिलचिलाती धूप में वो पीपल की छांव

महक उन सबकी अब एक चिठ्ठी लाती है।


याद आती है।

गाँवों में हर साल का वो तीज त्योहार

जैसे खुशियाँ चुमने खुद ही आती बहार

उस पर ये संयोग की मां बहनें गाती हैं

याद आती है।


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