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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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व्यंजन रेसिपी-चटपटी कविता

व्यंजन रेसिपी-चटपटी कविता

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बात खाने की जब भी आती है, 

व्यंजनों की तस्वीर सामने नज़र आती है,

बंगाल, बिहार, राजस्थान, गुजरात या हो पंजाब,

हर जगह के व्यंजनों की तो बात निराली होती है।


किंतु गुजराती व्यंजनों की क्या बात करें,

हमें तो गुजराती दाल ढोकली बहुत पसंद आती है,

चटपटी दाल में डूबी ढोकलियाँ खुद में है संपूर्ण आहार,

इसके मसालों की सौंधी खुशबू मन को तृप्त कर देती है‌


तो चलो कर लेते हैं तैयारी दाल ढोकली बनाने की,

जो पौष्टिकता से भरपूर और बहुत ही स्वादिष्ट होती है,

वैसे तो अब मैं स्वयं ही बना लेती हूंँ ये व्यंजन फटाफट से,

किंतु मांँ के हाथों बनी ये रेसिपी मुझे बहुत पसंद आती है।


तुअर की दाल, गेहूंँ का आटा, मूंगफली और मसाले,

बनाने में आसान और खाने में लाजवाब यह लगती है,

एक कप दाल दो कप पानी में मूंगफली डाल कर पकाओ,

तीन से चार सीटी लगने पर दाल पूरी तरह से पक जाती है।


मैश करके इस दाल को फिर रख दो एक तरफ,

अब लगेगा तड़का जिसके बिना ये दाल अधूरी होती है,

एक चम्मच शुद्ध देशी घी डालकर गरम -गरम कढ़ाई में,

जीरा, साबुत लाल मिर्च और थोड़ी राई चटकाई जाती है।


तड़का जान दाल की, डालो पाँच से छः करी पत्तियांँ,

फिर बारीक कटा प्याज, भूनों जब तक ये सुनहरी होती हैं,

पक जाए जब प्याज सुनहरी, तब डालो इसमें कटा टमाटर,

टमाटर के बाद फिर अदरक लहसुन पेस्ट की बारी आती है।


भून जाए भली-भांति जब सभी मसाले, प्याज, टमाटर,

तब तड़के वाली कढ़ाई में मैश की हुई दाल डाली जाती है,

फिर हल्दी, जीरा, धनिया पाउडर, गरम मसाला मिलाकर,

नमक, थोड़ा गुड़,नींबू रस डाल, दाल फिर पकाई जाती है।


लो बनकर तैयार हो गई है सौंधी- सौंधी चटपटी दाल,

पर दाल ढोकली के इंतजार में थोड़ी नाराज़ बैठी लगती है,

तो चलिए देर कैसी, कर लेते हैं ढोकली बनाने की तैयारी,

जो गेहूंँ आटा,तेल,अजवाइन,मिर्च पाउडर,हल्दी से बनती है।


एक कप आटे में मिलाओ मसाले, नमक स्वादानुसार,

मुलायम गुंदकर आंटे से छोटी-छोटी लोईयांँ बनाई जाती है,

नमकपारे सा या गोल आकार, बेल लो इसको जो हो पसंद,

टेढ़ी मेढ़ी हर आकार में दाल ढोकली लाजवाब ही लगती है।


बेली चली जाएं जब सभी लोईयाँ दाल में इसको डालो,

फिर 10:15 मिनट दाल के साथ ढ़ोलकियाँ पकाई जाती हैं,

अंत में ताजे हरे धनिए की बारिक कटी पत्तियांँ डालकर,

दही के साथ या ऐसे ही दोपहर रात कभी भी खाई जाती है।


रोटी की पौष्टिकता और दाल के गुण इसमें विद्यमान,

इसलिए तो अकेली दाल ढोकली संपूर्ण आहार मानी जाती है,

सुपाच्य और स्वादिष्ट भी खाने,देखने में अनोखी ये रेसिपी,

है तो गुजरात की, पर हर क्षेत्र में बड़े चाव से खाई जाती है।


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