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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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वसंत

वसंत

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सूरज सौम्यता पहन तन-मन आनंदित करे।

हर कली हर फूल को किरणों से अभिरंजित करे।

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मकरंद की सुवास है, हवाओं की सरताज ।

कोई कोना छूटे नहीं कहता वसंत ऋतुराज।

वासंती परिधान में वसंत पंचमी आज।

रूप बदलती धरा पर रूप बदलते साज।

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बुद्धिदात्री की अराधना में, चढ़ते पीले फूल।

 प्रकृति सुवासित हो रही, भूला रही हर शूल।

रंग-बिरंगी तितलियाँ, रंग-बिरंगे फूल।

इठलाती सरसों की बालियाँ, उड़ती मदमाती धूल।


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