वसंत
वसंत
सूरज सौम्यता पहन तन-मन आनंदित करे।
हर कली हर फूल को किरणों से अभिरंजित करे।
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मकरंद की सुवास है, हवाओं की सरताज ।
कोई कोना छूटे नहीं कहता वसंत ऋतुराज।
वासंती परिधान में वसंत पंचमी आज।
रूप बदलती धरा पर रूप बदलते साज।
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बुद्धिदात्री की अराधना में, चढ़ते पीले फूल।
प्रकृति सुवासित हो रही, भूला रही हर शूल।
रंग-बिरंगी तितलियाँ, रंग-बिरंगे फूल।
इठलाती सरसों की बालियाँ, उड़ती मदमाती धूल।
