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Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Abstract Classics Inspirational

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Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Abstract Classics Inspirational

वसंत आई.

वसंत आई.

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हर कली फूल बन के खिल उठी

हर कली संवारने लगी

ज़ूम उठी ये धरती सारी

देखो वसंत आई वसंत आई

बीड़ा होते  पतजड हम इशारा कर गई


थोड़े दिनों का बसेरा है ये जीवन

फिर ये गुलशन छोड़कर हमें जाना पड़ेगा

पेड़ से गिर ते पते हम समझाते गए

नफ़रत और ईर्ष्या को काट दो दिल की डाली से

माफ़ कर दो अपनी को


खुशियों का फूल अपने आप ही खिल जाएगा

देखो वसंत आई वसंत आई

खिलते मुरझाते फूलों ने हमें जीवन का सत्य बता डाला

सुख दुख दोनों पहेली है जीवन के

इस में अटल रहेना सीखो


खेत में लहराते गेहूं हम शिखा गए

दूसरी के लिए न्योछावर कर दो जीवन सारा

तुम्हारा जीवन अपने आप ही संवर जाएगा

देखो वसंत आई वसंत आई

स्वर्ग सी सूरत बना डाली ईश्वर ने धरती की सारी


देखो नींद से जग कर बाहर आई

देखो वसंत आई वसंत आई

वसंत आई वसंत आई वसंत पंचमी को साथ में लाई

ज़ूम उठी ये धरती सारी

पूरी हो सब  इंसानों की ख्वाहिश सारी

देखो बसंत आई।


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