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Adbal Vishal -AV writes-

Abstract

4.3  

Adbal Vishal -AV writes-

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ऐ मा कहा है तु.....?

ऐ मा कहा है तु.....?

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दुनिया तो झूठी निकली,

बस तेरा प्यार ही सच्चा था !

नजाने क्यू बडा हो गया मैं,

तेरे ऑंचल की छाव मे बिताया वो बचपन ही अच्छा था !

मेरी हर गलती की मुआफी थी तू,

ऐ मा बताना कहा चली गयी है तू.....?


बचपनमे घर की दहलीज पर

कदम रखते ही तुझे ढुंढने लग जाता था,

तुझे देखे बिना दिल मेरा चैन नही पाता था !

आजकल तो घर की तरफ कदम ही नही मुडते,

क्यूकी मेरी रुह का सुकुन थी तू,

ऐ मा बोल देना एक बार कहा है तू.....?


जब भी ठोकर लगे तो मुह से बस "मा" ही निकलता है,

ऐसा लगता है तू दौडकर आयेगी मेरे

पास और पुछेगी "क्या हुआ बेटा-तू कैसा है ?"

कैसे बताऊ मा तुझको मेरे रोते दिल का इंतजार है तू,

अब तो लौटकर आ जा ना मा कहा है तू.....?


जुनून तो आसमान छुने का था,

तेरे चरणों की धुल को माथे पर लगाकर जीना था,

तेरे लिये कुछ कर दिखाने का सपना था,

पर आज खुद एक ख्वाब बन गयी है तू,

ऐ मा आ जा ना, क्यू मुझे तडपा रही है तू.....?


लोग तो चले जाते है दुआ करने मंदिरों और मस्जिदों मे,

तू ही बता कहा जाऊ मैं,

मेरी दरगाह, मेरी मस्जिद, मेरा मंदिर है तू,

ऐ मा कह दे ना कहा है तू.....?


बेटा तेरा अकेला है अब तो वापस आ जा,

कहा छुपकर बैठी है अब तो बाहर आ जा,

लोग कहते है, यह लुपाछुपी नही,

अब इस दुनिया में नहीं रही तू,

पर मा विश्वास है मुझे की आज भी मेरे साथ है तू,

दुनिया चाहे कुछ भी कहे,

पर मेरे दिल में आज भी जिंदा है तू।


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