वफ़ा की चिंगारी
वफ़ा की चिंगारी
आज़ादी चाहिए कुछ जंजीरों से मुक्त होने की,
बंदिशों को को तोड़ कुछ कर गुजर जाने की।
कुछ सवाल आज भी सताते है मुझको यूं ही,
एक घड़ी चाहिए कुछ जवाब दे जाने की।
साजिशों के तीर यूं ना चलो हम पर,
इतना गुरूर ना कर इस मिट्टी के घर पर,
बेहतर ही लगते हैं बेवफाई के खंजर दिल पर,
अब आ गई है घड़ी हादसों से हाथ मिलाने की,
महफूज़ है तेरी वफ़ा की चिंगारी मेरे सीने में,
खामखां परेशां न हो जाया कर तू बरसात के महीने में,
तू पहली हसीना नहीं है,
गलतफहमियों का शिकार हो जाती हो।