वो मोसम भी क्या मौसम है...
वो मोसम भी क्या मौसम है...
वो मौसम भी क्या मौसम है, जो याद ना उसकी दिलाए,
जब जब तारो भरे आसमान को देखूं,
तब तब याद मुझे उस सितारे की बहुत आए,
जब जब चाँद को देखूं,
तब तब उसका चेहरा नज़र आए,
जब जब गुफ़्तगू होती है उनसे,
हाय ये दिल बहुत घबराए,
सुनती रहूँ वो बाते उनकी,
और मेरी पुरी उम्र बीत जाए,
पागल कहती है हमें ये दुनिया सारी,
क्यूं सिर्फ तुम दिल एक से लगाए,
अरे! ओ गालिब हम वो दीवाने है,
जो किसी एक से दिल लगाए,
हार बैठे दिल उस एक के आगे,
हम ऐसे है जो उनकी याद में पुरी उम्र गुजार जाए,
मुस्कान उनकी फूलों सी जब वो मुस्कुराए,
हाय! ये दिल पल भर मे सारे गम भूल जाए,
दिल करता है एक ही दुआ,
वो जहाँ भी रहे बस खुश रहे,
वो मौसम भी क्या मौसम है, जब याद उसकी ना आए।

