वो मेरे दिल की रानी
वो मेरे दिल की रानी
उसकी मुझे पाने की भूख निस्तेज है जैसे बैसाखी तप्त सुबह..
वो मेरे आसपास बसी है आबो-हवा सी.. वो ईश का बनाया अनमोल टुकड़ा है, उसकी दुनिया आधी अधूरी है..
मेरे जज़बात संग उसके स्पंदन जोड़कर उसकी ख़्वाहिशों में रंग भरने की मेरी कोशिश कभी तो कामयाब होगी..
कभी तो सैलाब आएगा उसके अहसास में मेरे वजूद का..
उसकी हल्की नज़र क्रान्ति की तलाश मेरी रूह से करती है..
मैं आहिस्ता-आहिस्ता उसके दिल से उभरता हुआ ज्वार बनता जा रहा हूँ..
असीम समुन्दर सा मैं, वो इठलाती नदी सी बस मुझमें विलीन होती जा रही है..
वो मेरे दिल की रानी है
आज मैंने अपनी चाहत के ताज की मोहर लगा दी..वो आज मुस्कुराई है..
उसे भी लगता है शायद मेरी मंज़िल वही है, उसने आज कहा वो मेरा हाथ थामें बूढ़ी होना चाहती है।