वो मेरा हाल पूछते हैं
वो मेरा हाल पूछते हैं
बनकर एक ख्याल वो मेरा हाल पूछते हैं
ख्वाबो में आ-आकर वो हमसे सवाल पूछते हैं।
जिनके जाने से ये दिल दर्द से भर गया
कैसे हो तुम इतना दर्द से मालामाल पूछते हैं।
हम ठहरे की दर्द-ए-बयाँ भी न कर पाए
वो घूम-घूम कर सबसे मेरा हालचाल पूछते हैं।
मेरी लिखी ग़ज़लों से जब वो रु-ब-रु हुए
किसका लिखते हो तुम दिल-ए-हाल पूछते हैं।
गम की ख़ुशी कभी चेहरे पर जो आ गई
कैसे रहते हो तुम हमेशा बे-मिशाल पूछते हैं।
वो कैसे समझेंगे तुम्हारे दर्द को "रौशन"
हँस कर जो तुमसे तुम्हारा दर्द-ए-हाल पूछते हैं।
