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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

वो कहां कभी मुझे याद करते हैं

वो कहां कभी मुझे याद करते हैं

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गैरों ने लूटा उसे तो शिकायत न हुई,

हमने संभाला फिर भी इनायत न हुई।

जिन्हें हमने मुकाम तक पहुंचाया है,

उन्हीं ने जिंदगी में अकसर ठुकराया है।


हम न होते तो तेरी जिंदगी बर्बाद होती ,

तू कहीं का ना होता गर तेरे साथ न होती,

तू प्यार के काबिल ही न रहा जिंदगी में,

मैं तेरा मुकद्दर लिख तन्हा बर्बाद न होती।


हम दूर होकर भी ख्याल रखते हैं,

वो कहां मुझे कभी याद करते हैं।।



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