वो हँसती थी
वो हँसती थी
एक मैडम थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं
गुद गुद करके हँसतीं थीं
मानो बस तुम्हीं से बातें करती हो।
और ना किसी को समझती हो
जो भी उनसे बात करे
सबको ये ही एहसास लगे
खिलखिला के हँसती थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं।
वह छत्तीस साला मधुशाला
कटि कोण बनाकर चलती थी
वो चंचल कुमुदुनी आह्लादित
प्रणय मगन मन करती थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं।
उरस्थल पर नयन विश्राम
शिख नभ पग मन मुदित काम
हौले से हाथ हिलाकर चलती थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं।
सकल स्नेही मित्र गण
सब दूरभाष पे रहते थे
विद्युत चुम्बकीय संदेश पर
झट से उत्तर देते थे।
सबको सम्मोहित सबका सम्मोहन
वो मिला जुला कर रखती थीं
एक मैडम थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं।
गजब बासन्ती
बयार बहती थीं
एक मैडम थीं
हर बात पे वेरी गुड कहती थीं।
