वो अब पुकारता नही
वो अब पुकारता नही
वो मुझे क्यों अब पुकारता नही
दिल से मुझको क्यों चाहता नही
आज भी मुझको उम्मीद है उसकी
नजर भर मुझे वो क्यों देखता नही
साथ उसके था उसको याद ही होगा
बिठाया पलकों पे था उसको याद ही होगा
खुद से पूछ ले वो मेरे हमनशी
क्या सच में मुझे तू याद करता नही
जिस्म उसका सिमट गया चादरों सा
प्यार बरसता रहा गर्म सांसों सा
उसको लिखा मैंने चांदनी की तरह
आज भी वो मुझको शायद पसन्द करता नही
उसका प्रेम सिर्फ एक दिखावा था
रूप में ही छुपा एक छलावा था
रह के भी वो मेरे साथ था ही नही
आज भी वो मुझे अपना समझता नही
वफ़ा जितनी की उसकी दुआ ले जा
चलते चलते मेरी जिंदगी की वजह ले जा
सुन ले मेरी चाहत का एक फ़साना
सिवा तेरे प्यार मैं किसी से करता नही!

