वक़्त लगा...
वक़्त लगा...
वक़्त लगा तुझसे कोई बात करने को,
ऐसा लगा जैसे मुलाक़ात करने को,
बिखर गया था रिश्ता टुकड़ों की तरह,
वक़्त लगा उन्हें समेट मुझे मनाने को,
चुभे थे तब घाव मुझे ही तो लगा था,
वक़्त लगा इन पर मरहम लगाने को,
कोशिश करी थी तूने कई दफ़ा,
वक़्त लगा ख़ुद से समझ पाने को,
बहा रही थी अश्क़ अकेले कमरें में बंद
वक़्त लगा दरवाज़े से दिल तक आने को,
इंतज़ार में थी तू बाँहें फेलाए मेरे,
वक़्त लगा मुझे दो क़दम बढ़ाने को,
ग़लती कर माफ़ी माँग तो ली तूने,
वक़्त लगा भूल कर पास आने को,
वक़्त लगा तुझसे कोई बात करने को,
ऐसा लगा जैसे कोई मुलाक़ात करने को।